आपदा या दुर्धटना की स्थिति में एनजीओ अक्सर पीड़ित लोगों की मदद के लिए सामने आते है ओर फौरी तौर पर राहत देने के लिए शिविर लगाते है जिसके तहत भोजन व चिकित्सा सुविधा आदी का प्रबंध करत् है। कई बार यह सहायता शिविर एक दो दिन के लिए होता है तो कुछ परिस्थिति में तो महीनों तक चलता रहता है।
वर्तमान कोराना महामारी के दौरान भी बड़ी संख्या में एनजीओ लोगों की मदद कर रहे है। गांव गांव कस्वा कस्वा अपने सामर्थ व संसाधनो से से सराहनीय कार्य किया जा रहा है। ऐसे में कुछ आवश्यक जानकारी एनजीओ संचालको व समाज सेवको को रखनी जरुरी है।
आपदा या महामारी के समय किसी भी प्रकार की राहत कार्य करने से या सामान्य दिनों में शिविर, टीकाकरण, रैली, धरना, सभा या कोई भी ऐसा कार्यक्रम जिसमें अधिक लोगों को आने की संभावना हो या फिर इलाज या दवाई वितरण का काम हो तो अवश्य हींं स्थानीय प्रशासन, संबंधित विभाग, लोकल थाना को सूचित करें और अगर किसी तरह के आदेश की मंजूरी की जरुरत हो तो उसे भी जरुर ले लें अन्यथा कोई भी अप्रिय घटना या हादसा होने पर एनजीओ ओर उनके अघिकारियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन अगर संबंधित कागजात साथ में हों तो इस तरह के कार्रवाई से बच सकते हैं।
कई बार देखा गया है कि विद्वेष के कारण कुछ असमाजिक तत्व सामाज सेवा के कार्य में बाधा पहुचाने की कोशिश करते हैं या मंशा रखते हैं, स्थानीय राजनीति भी कभी कभी इस तरह के कार्य में मनचाहा लाभ लेने के लिए दखल देती है, अतः किसी प्रकार की अनहोनी ना हो इसके लिए मंजूरी अवश्य ले लें। अधिकारियों को कार्यक्रम का हिस्सा बनाएं, स्थानिय विशिष्ठजन को आमंत्रित भी कर सकते है लेकिन ध्यान रहे की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का असर कार्यक्रम पर ना पड़े।
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