कई बार देखा गया है कि बेहतरिन उद्यम आईडिया होने के बावजूद भी व्यक्ति उसे सकार नहीं कर पाता है, और इसका प्रमुख कारण होता है पुंजी का अभाव। कुछ ऐसे भी उद्धयमी होतो हैं जिन्हे अपने किसी भी उद्यम को बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत होती है। किसी भी क्षेत्र में व्यवसाय शुरू कर तो लें, लेकिन जब तक पर्याप्त पूंजी नहीं होगी तब तक उस व्यवसाय को नई उंचाई तक ले जाना मुश्किल होता है। पहले से स्थापित और बड़ी कंपनियो को तो पूंजी जुटाने में कठीनाई नही होती है, क्योंकि वो एक स्थापित उद्धयम के रुप में अपने आपको साबित कर चुके होते हैं, लेकिन छोटे उद्यमों और स्टार्टअप्स के लिए पूंजी इक्कठा कतना एक चुनौती से कम नहीं है। सरकार ने ऐसे स्टार्टअप्स और छोटे उद्यमों को अपना व्यवसाय सुचारु रुप से चलाने में सहायता करने के लिए कई ऋण योजनाएं शुरू की गई हैं। आईए हम जानते हैं कि वो पांच प्रमुख योजनाएं कौन कौन सी हैं जो किसी स्टार्टअप और छोटे उद्यमों के लिए मददगार साबित हो सकता है।
MSME के लिए व्यवसाय ऋण योजना
वर्ष 2018 में सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) के लिए व्यवसाय ऋण योजना की घोषणा की गई थी। इसके तहत MSME के विकास के लिए लोन दिए जाते हैं। योजना के अन्तर्गत एक पोर्टल भी लॉन्च किया गया है, जिसके जरिए कुछ हीं समय में 1 करोड़ तक के ऋण की मंजूरी मिल जाती है। योजना के तहत नए और मौजूदा सूक्ष्म, लघु और मध्यम व्यवसायों को 1 करोड़ रुपये तक के ऋण दिये जाते हैं। योजना में ऋण की स्वीकृति में कुछ मिनट का समय लगता है और ऋण की प्रक्रिया पूरी होने में करीब 10 दिन तक लगते हैं। ऋण लेने-देने प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है. दस्तावेजों को स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड कर आवेदन पत्र ऑनलाइन जमा कराया जा सकते है। योजना में लिए गए ऋण की ब्याज दरें आपकी क्रेडिट रेटिंग और आपके व्यवसाय की प्रकृति के अनुसार होती हैं। इस योजना के तहत व्यवसाय ऋण के लिए आवेदन करने के लिए आपके पास जीएसटी सत्यापन, आयकर विवरण, बैंक खाता विवरण, स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज और केवाईसी विवरण आदि होने चाहिए। योजना के बारे में अधिक जानकारी SIDBI के पोर्टल से भी ले सकते हैं।
MUDRA ऋण योजना
सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना लघु उद्यमों को मदद करने के लिए शुरु किया गया था । देखा गया है कि छोटे और मध्यम व्यवसाय करने वाले लोग कम पूंजी के कारण अपने व्यवसाय को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। कुछ लोग छोटी पुंजी से कुछ शुरु कर जीवन य़ापन करना चाहते हैं तो भी धन की कमी आड़े आती है। इसको ध्यान मे रखते हुए केंद्र सरकार ने छोटे और मध्यम उद्यमों को वित्तीय प्रणाली के तहत लाने के लिए वर्ष 2015 को मुद्रा ऋण योजना को शुरू किया। योजना का उद्देश्य व्यावसायिक संभावनाओं और छोटे व्यवसायों की वृद्धि को प्रोत्साहित करना है। मुद्रा ऋण पुनर्वित्त व्यापार ऋण होता है, जिसे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों से प्राप्त किया जा सकता है। योजना के तहत ऋण को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
• शिशु – योजना की इस श्रेणी के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये तक का ऋण लिया जा सकता है।
• किशोर – योजना की इस श्रेणी के तहत 50 हजार से ऊपर तथा 5 लाख रुपये तक का ऋण लिया जा सकता है।
• तरुण – योजना की इस श्रेणी के तहत 5 लाख से ऊपर तथा अधिकतम 10 लाख तक का ऋण लिया जा सकता है।
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम अनुदान योजना
यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देती है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास को बढ़ावा देने लिए लगातार काम कर रही है। निगम सब्सिडी योजना कच्चे माल और विपणन सहायता के रूप में वित्तीय मदद प्रदान करती है। योजना के तहत आप विपणन के माध्यम से अपने उत्पादों के बाजार मूल्य को बढ़ाने के लिए तथा कच्चा माल खरीदने के लिए फंड ले सकते हैं। इस योजना मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म और लघु उद्योगों की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना और इनके विकास में गुणात्मक और मात्रात्मक रूप से मदद करना है। अपने व्यवसाय को मजबूती प्रदान करने के लिए निगम के अनुदान का लाभ ले सकते हैं।
क्रेडिट गारंटी फंड योजना
क्रेडिट गारंटी फंड योजना की शुरुआत देश में सूक्ष्म और छोटी इकाइयों को मौद्रिक सहायता प्रदान करने के लिए की गई। पूंजी की कमी के कारण सूक्ष्म और लघु उद्योग या तो बंद होते देखा गया है, उनकी असफलता का कारण उपयुक्त पुंजी का ना होना भी माना गया है। सरकार ने सूक्ष्म और लघु उद्योगों के ग्रोथ में बाधा बन रही इस समस्या को पहचान कर क्रेडिट गारंटी फंड योजना के माध्यम से क्रेडिट डिलीवरी प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। योजना के तहत सूक्ष्म और लघु उद्योगों को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, एसबीआई, सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों के माध्यम से क्रेडिट गारंटी की सुविधा प्रदान कर रही है। इसकी पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले योजना के तहत बिना गारंटी दिए ऋण प्राप्त कर सकते हैं। योजना के तहत नए और मौजूदा व्यवसाय के वित्तपोषण के लिए 10 लाख रुपये तक का कार्यशील पूंजी ऋण प्राप्त कर सकते हैं। खुदरा व्यापार, शैक्षणिक संस्थानों, कृषि, स्वयं सहायता समूहों तथा प्रशिक्षण के कार्य में लगे MSME को छोड़कर विनिर्माण या सेवा गतिविधियों में लगे हुए MSME योजना के तहत ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
क्रेडिट लिंक कैपिटल सब्सिडी योजना
केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना (Credit linked Capital Subsidy Scheme) या सीएलसीएसएस शुरू की। सीएलसीएस योजना के तहत एमएसएमई द्वारा प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए अधिकतम एक करोड़ रुपये तक अतिरिक्त निवेश के लिए 15% सब्सिडी दी जाती है। फिर से शुरू की गई योजना के तहत अनसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उद्यमियों के लिए 10% अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है। इस योजना के माध्यम से सरकार का लक्ष्य MSME क्षेत्र में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन लागत को कम करना है। क्रेडिट लिंक कैपिटल सब्सिडी योजना का उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र के तकनीकी उन्नयन में सुविधा प्रदान करना भी है, जिससे आधुनिक तकनीकी प्रक्रिया को अपनाया जा सके और उद्योगों की क्षमता में विस्तार किया जा सके।