LIST OF SCHEMES
1. उद्यमीमित्र के लिए केंद्र स्तरीय सब्सिडी योजनाएँ
i. संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटफ्स)
ii. एकीकृत वस्त्र पार्क योजना(एसआईटीपी)
iii. सादे विद्युतकरघों का मूलस्थान पर उन्नयन
iv. सामूहिक वर्कशेड योजना (जीडब्यूी एस)
v. यार्न बैंक योजना
vi. सामान्य सुविधा केन्द्र (सीएफसी)
vii. विद्युतकरघा बुनकरों के लिए प्रधानमंत्री की ऋण योजना
viii. विद्युतकरघा के लिए सौर ऊर्जा योजना
ix. विद्युतकरघा सेवा केन्द्रों को अनुदान सहायता तथा आधुनिकीकरण तथा उन्नयन
x. संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस)
xi. संशोधित व्यापक विद्युतकरघा समूह विकास योजना (एमसीपीसीडीएस)
xii. एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस)
xiii. संपदा योजना (कृषि-समुद्री प्रसंस्कूरण एवं कृषि-प्रसंस्क रण क्लदस्टकर विकास स्कीबम)
xiv. प्रौद्योगिकी उन्नयन हेतु ऋण आधारित पूंजी सब्सिडी योजना
xv. सूक्ष्म/ लघु निर्माणकर्ता उद्यमों/ लघु और सूक्ष्म निर्यातकर्ताओं (एसएसआई-एमडीए) हेतु बाजार विकास सहायता योजना
xvi. सूक्ष्म & लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई – सीडीपी)
xvii. प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
xviii. विपणन सहायता स्कीम (एमएएस)
xix. चमड़ा क्षेत्र की एकीकृत विकास उप योजना
xx. एमएसएमई क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के संवर्द्धन के लिए “डिजिटल एमएसएमई” योजना
xxi. लीन मैनुफेक्चरिंग कोंम्पैटिटिवनेस स्कीम अंडर नेशनल मैनुफेक्चरिंग कोंम्पैटिटिवनेस प्रोग्राम
xxii. आईएसओ 9000 / आईएसओ 14001 प्रमाणन की प्रतिपूर्ति
xxiii. पोषण केंद्रों के माध्यम से एसएमई उद्यमों हेतु उद्यमिता और प्रबंधकीय विकास के लिए सहायता
xxiv. जेडईडी प्रमाणन में एमएसएमईज़ को वित्तीय सहायता
xxv. एमएसएमईज़ के लिए डिज़ाइन विशेषज्ञता के लिए डिज़ाइन क्लीनिक
xxvi. एमएसएमई उद्यमों को प्रौद्योगिकी एवं गुणवत्ता उन्नयन संबंधी सहायता
xxvii. क्यूएमएस और क्यूटीटी के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा हेतु सक्षम बनाना
xxviii. बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए जागरूकता पैदा करना
xxix. कॉयर विकास योजना
2. उद्यमीमित्र के लिए राज्य स्तरीय सब्सिडी योजनाएँ
i. परिवहन अनुदान योजना
ii. नए उद्यम सह उद्यम विकास योजना
iii. बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार सृजन कार्यक्रम
iv. एमएसएमई के लिए पूंजी और ब्याज सब्सिडी की सहायता (सेवा उद्यम को छोड़कर)
v. सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए सीजीटीएमएसई शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए सहायता
vi. सूक्ष्म लघु इकाइयों को किराए में सहायता
vii. उद्योगों को प्रोत्साहन योजना के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया
viii. श्रम प्रधान उद्योगों के लिए सहायता योजनाएँ उद्योग आयुक्तालय गुजरात सरकार
ix. प्लास्टिक उद्योग के लिए वित्तीय सहायता की योजना
x. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना
xi. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
3. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए के एमएसएमई उद्यमियों के लिए सब्सिडी योजना
i. अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के एमएसएमई उद्यमियों के लिए भारत रत्न डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर उद्योग उदय योजना
ii. सहायता प्राप्त सावधि ऋण
iii. स्वच्छता उद्यमी योजना (एसयूवाई)
iv. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति हब योजना
4. महिलाओं के लिए सब्सिडी योजनाएँ
उद्यमीमित्र के लिए केंद्र स्तरीय सब्सिडी योजनाएँ
संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटफ्स)
कपड़ा एवं जूट उद्योग के लिए संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटफ्स) की शुरुआत कपड़ा मंत्रालय द्वारा की गई है। इस शुरुआत का उद्देश्य यह है कि कपड़ा बनाने वाली इकाइयाँ 13 जनवरी, 2016 से 31 मार्च, 2022 की कार्यान्वयन अवधि के दौरान आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने की सुविधा अधिस्थापित कर सकें। संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटफ्स) के अंतर्गत प्रत्येक इकाई द्वारा किए जाने वाले समग्र निवेश पर पूँजी निवेश सब्सिडी की अधिकतम सीमा 30 करोड़ है।
संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटफ्स) के अंतर्गत गारमेंट इकाइयों के लिए उत्पादन एवं रोजगार लिंक के समर्थन के लिए मेड-अप इकाईयों / पूँजीगत निवेश सब्सिडी (सीआईएस) पर 50 करोड़ रूपये तक की सीमा वृद्धि करने वाले क्षेत्रों को 10% की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी और यह राशि अनुमानित उत्पादन एवं रोजगार की उपलब्धियों पर आधारित होगी। यह योजना 13 जनवरी, 2016 से 31 मार्च 2019 तक लागू रहेगी।
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एकीकृत वस्त्र पार्क योजना(एसआईटीपी)
योजना का प्राथमिक उद्देश्य उद्यमियों के समूह को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एवं सामाजिक मानकों के अनुरूप वस्त्र इकाइयों की स्थापना के लिए एक क्लस्टर में अत्याधुनिक आधारभूत सुविधाओं के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है ताकि वस्त्र क्षेत्र में निजी निवेश को प्रेरित कर रोजगार के नए अवसर सृजित किया जा सके। यह योजना 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2020 तक तीन साल की अवधि के लिए है।
इस योजना के तहत बनाए गए पार्कों में स्थापित इकाइयाँ, सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत अपनी पात्रता के आधार पर लाभ ले सकती हैं। एटफ्स के तहत व्यक्तिगत इकाई द्वारा किए गए समग्र निवेश के लिए अधिकतम पूंजीगत निवेश सब्सिडी (सीआईएस) 30 करोड़ रुपये तक सीमित होगी।
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सादे विद्युतकरघों का मूलस्थान पर उन्नयन
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना के नाम से एक व्यापक योजना आरंभ की गई है जो 1 अप्रैल, 2017 से तथा 31 मार्च 2020 तक की अवधि तक लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए एक व्यापक योजना के तहत सादे विद्युतकरघों का उसी स्थान पर उन्नयन किए जाने की योजना है और इस योजना का उद्देश्य आर्थिक दृष्टि से कमजोर, छोटे विद्युतकरघा इकाइयों के लिए कतिपय अतिरिक्त उपकरण/ किट जोड़कर मौजूदा सादे करघों को अर्द्ध स्वचालित/ शट्ललेस करघों में उन्नत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है ।
प्रति करघा सहायता की राशि का निर्धारण उन्नयन के प्रकार और उद्यमी की श्रेणी अर्थात सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के मिले-जुले आधार पर होगा। इस योजना के तहत सब्सिडी की सीमा 81000/- रुपये है।
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सामूहिक वर्कशेड योजना (जीडब्ल्यूएस)
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना के नाम से एक व्यापक योजना आरंभ की गई है जो 1 अप्रैल, 2017 से प्रभावी है तथा मार्च 2020 तक की अवधि तक लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र के विकास के लिए व्यापक योजना के तहत एक सामूहिक वर्कशेड की योजना है जिसका उद्देश्य मौजूदा अथवा नए क्लस्टर में शटललेस करघों के लिए वर्कशेड संस्थापित करने की सुविधा प्रदान करना, ताकि व्यापार परिचालनों के लिए अपेक्षित आर्थिक स्केल प्राप्त हो सकेगा।
इकाई के निर्माण की लागत और उद्यमी की श्रेणी यानी सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आधार पर सब्सिडी की पात्रता निर्भर है। योजना के तहत सब्सिडी की सीमा 900/- रुपये प्रति फुट है।
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यार्न बैंक योजना
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए एक व्यापक योजना के रूप में एक व्यापक योजना 1 अप्रैल, 2017 से आरम्भ हुई जो मार्च 2020 तक की अवधि के लिए लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना के तहत यार्न बैंक नामक एक योजना है और इस योजना का उद्देश्य उचित मूल्य पर यार्न उपलब्धता के लिए विशेष प्रयोजनार्थ वाहन (एसपीवी) / सहायता संघ को ब्याज मुक्त कार्पस निधि उपलब्ध कराना है जिससे कि वे थोक भाव में यार्न खरीद सकें और छोटे बुनकरों को उचित भाव में यार्न उपलब्ध करा सकें।
सरकार विशेष प्रयोजन वाहक (एसपीवी) / संघ को प्रति यार्न बैंक को अधिकतम 200 लाख रूपये का ब्याज मुक्त कार्पस निधि प्रदान करेगी।
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सामान्य सुविधा केन्द्र (सीएफसी)
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना के रूप में एक विस्तृत योजना 1 अप्रैल 2017 से शुरु की गई है जो 31 मार्च 2020 तक की अवधि तक प्रचलन में रहेगी ।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना के तहत सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) नामक योजना है और इस योजना का उद्देश्य – सामान्य सुविधा केंद्र की स्थापना करना जिसमे डिज़ाइन सेंटर / स्टूडियो, परीक्षण सुविधाएं, प्रशिक्षण केंद्र, सूचना-सह-व्यापार केंद्र एवं सामान्य कच्चा माल / यार्न / बिक्री डिपो , औद्योगिक उपयोग के लिए जलशोधन केंद्र, डॉर्रमेटरी, कर्मचारियों के लिए आवास, बुनाई से पहले की सुविधाओं जैसे यार्न की रंगाई, यार्न के गुल्ले बनाना, यार्न को पक्का करना और उसे बँटना इत्यादि और बुनाई के बाद की सुविधाएं जैसे संसाधन इत्यादि रहें और उसके लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
सरकार प्रत्येक सामान्य सुविधा केंद्र के लिए अधिकतम 200 लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी।
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विद्युतकरघा बुनकरों के लिए प्रधानमंत्री की ऋण योजना
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए एक व्यापक योजना आरंभ की गई है जो 1 अप्रैल, 2017 से लागू है तथा मार्च 2020 तक की अवधि तक लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना के तहत विद्युतकरघा बुनकरों के लिए प्रधानमंत्री ऋण योजना नामक योजना है जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करना है अर्थात प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत जो मार्जिन राशि सब्सिडी ली गई और / ऋण सुविधा (सावधि ऋण) के प्रति ब्याज की प्रतिपूर्ति की जाएगी और विकेन्द्रीकृत विद्युतकरघा इकाइयों / बुनकरों को वित्तीय सहायता की जाएगी ।
पीएमएमवाई के तहत – वित्तीय सहायता
मार्जिनराशि सब्सिडी, परियोजना लागत का 20% है और इसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपये होगी। कार्यशील एवं सावधि ऋण दोनों मामलों में ब्याज सहायता 6% प्रतिवर्ष है और यह राशि 10 लाख रुपये तक होगी और अधिकतम 5 वर्ष के लिए होगी।
स्टैंड अप इंडिया के तहत – वित्तीय सहायता
1.00 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के लिए 25% मार्जिन राशि सब्सिडी है और इसकी अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये होगी, उधारकर्ता से अपेक्षित है कि वह परियोजना लागत का 10% अपने अंशदान के रूप में निवेश करें।
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विद्युतकरघा के लिए सौर ऊर्जा योजना
विद्युतकरघा क्षेत्र व्यापक विकास योजना के अंतर्गत योजनाओं में एक विद्युतकरघा हेतु सौर ऊर्जा योजना है। इस योजना का उद्देश्य छोटी विद्युतकरघा इकाइयों को ऑन ग्रिड सौर फोटो वोल्टिक प्लांट (बैटरी बैकअप के बिना) और ऑफ ग्रिड सौर फोटो वोल्टाइक प्लांट (बैटरी बैक-अप के साथ) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता / पूंजी सब्सिडी प्रदान करना है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा मिले व सरकार के टिकाऊ विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
सब्सिडी की पात्रता स्थापित करघों की संख्या और उद्यमी की श्रेणी अर्थात सामान्य, अनु।जा, अनु.ज.जा. के संयोजन पर आधारित है। इस योजना के अंतर्गत सब्सिडी के ऊपरी सीमा 8.55 लाख रुपए है।
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विद्युतकरघा सेवा केन्द्रों को अनुदान सहायता तथा आधुनिकीकरण तथा उन्नयन
वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार एक व्यापक योजना जिसे “विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना” के नाम से आरंभ किया गया है और जो 1 अप्रैल, 2017 को लागू है तथा मार्च 2020 तक की अवधि तक लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना में शामिल यह योजना विद्युतकरघा सेवा केन्द्रों के आधुनिकीकरण तथा उन्नयन हेतु अनुदान सहायता योजना है और इसका उद्देश्य वस्त्र आयुक्त कार्यालय के 15 विद्युतकरघा सेवा केंद्र, 26 वस्त्र अनुसंधान संघ (टीआरए) एवं 6 राज्य सरकार के वि॰क॰से॰ केंद्र को वित्तीय सहायता प्रदान करना है जो विद्युतकरघा क्षेत्र को सरकार की ओर से प्रशिक्षण, नमूना परीक्षण, डिजाइन निर्माण, परामर्श, संगोष्ठी / कार्यशाला का आयोजन आदि सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।
वस्त्र अनुसंधान संघ के विद्युतकरघा सेवा केन्द्रों / राज्य सरकारी अभिकरणों को विद्युतकरघा सेवा केंद्र चलाने के लिए आने वाले आवर्ती खर्च को पूरा करने के लिए अनुदान सहायता दी जाती है।
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संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस)
एक व्यापक योजना जिसे “विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना” के नाम से आरंभ किया गया है और जो 1 अप्रैल, 2017 से लागू है तथा मार्च 2020 तक की अवधि तक लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना में शामिल यह योजना संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस) है और इसका उद्देश्य रोजगार तथा वस्त्र मूल्य श्रृंखला के प्रौद्योगिकी प्रधान घटकों में निवेश के लिए एकबारगी पूंजी सहायता प्रदान करना है। पूंजी निवेश सब्सिडी (सीआईएस) 10% और सब्सिडी की अधिकतम सीमा 20 करोड़ रूपये है।
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संशोधित व्यापक विद्युतकरघा समूह विकास योजना (एमसीपीसीडीएस)
एक व्यापक योजना जिसे “विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना” के नाम से आरंभ किया गया है और जो 1 अप्रैल, 2017 से लागू है तथा मार्च 2020 तक की अवधि तक लागू रहेगी।
विद्युतकरघा क्षेत्र विकास के लिए व्यापक योजना में शामिल यह योजना संशोधित व्यापक विद्युतकरघा समूह विकास योजना (एमसीपीसीडीएस) है और इसका उद्देश्य स्थानीय लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) की व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करने और उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने, उत्पादन श्रृंखला को एकीकृत करने के लिए विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना तैयार करना है। इस योजना के अंतर्गत बुनियादी ढांचे, सामान्य सुविधाओं, अन्य आवश्यकता आधारित नवोन्मेषों, प्रौद्योगिकी उन्नयन और कौशल विकास करना भी शामिल है। भारत सरकार परियोजना लागत का 60% सब्सिडी प्रदान करती है जिसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रूपये है।
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एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस)
इस योजना का उद्देश्य भारतीय कपड़ा उद्योग को पर्यावरण अनुकूल प्रसंस्करण मानकों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करना है। यह योजना कपड़ा इकाईयों को आवश्यक पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने में सुविधा प्रदान करेगी। आईपीडीएस मौजूदा प्रोसेसिंग क्लस्टर में नए सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के साथ-साथ नए प्रसंस्करण पार्कों का विशेष रूप से जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में और प्रसंस्करण क्षेत्र में अधिक स्वच्छतर प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्थन करेगा।
भारत सरकार का अनुदान जल प्रशोधन और प्रदूषण प्रशोधन संयंत्र और प्रौद्योगिकी (समुद्री, नदीय और जेडएलडी प्रणाली समेत) के लिए अनुमन्य होगा, सामान्य आधारभूत संरचना जैसे कि कैप्टिव पावर जनरेशन प्लांट, नवीकरणीय और हरित ऊर्जा सहित, जैसा भी मामला हो, जनरेशन प्लांट समेत ज़ेडएलडी और समुद्री निर्वहन के संदर्भ में परियोजना लागत का 50% किन्तु 75 करोड़ रुपये से अधिक नहीं और नदी और पारंपरिक प्रशोधन के संदर्भ में 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी।
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संपदा योजना (कृषि-समुद्री प्रसंस्करण एवं कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर विकास स्कीम)
- संपदा एक व्यापक पैकेज है जिसके परिणामस्वरूप खेत से खुदरा दुकानों तक एक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक आधारभूत संरचना का निर्माण होगा।
- संपदा योजना के अंतर्गत एक मेगा फूड पार्क की योजना है, जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम अनुदान 50 करोड़ रुपये है।
- संपदा योजना के तहत एक कोल्ड चेन और मूलभूत ढांचा मूल्य वृद्धि योजना है जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम अनुदान 10 करोड़ रुपये है।
- संपदा योजना के तहत एक खाद्य प्रसंस्करण एवं परिरक्षण क्षमताओं के सृजन / विस्तार के लिए योजना है जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम अनुदान 5 करोड़ रुपये है।
- संपदा योजना के तहत कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर के लिए बुनियादी ढांचा योजना है जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम अनुदान 10 करोड़ रुपये है।
- संपदा योजना के तहत उत्पादन पूर्व और उत्पादनोत्तर सहबद्धताओं के सृजन के लिए योजना है जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम अनुदान 5 करोड़ रुपये है।
- संपदा योजना के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन आधारभूत संरचना की एक योजना है जिसमें सामान्य क्षेत्र में कार्यरत केंद्रीय / राज्य सरकार और उनके संगठन / सरकारी विश्वविद्यालय, बुनियादी ढांचे उपकरण की लागत के 100% की अनुदान सहायता के लिए पात्र है और सामान्य क्षेत्र में कार्यरत अन्य सभी कार्यान्वयन एजेंसियां / निजी क्षेत्र के संगठन / विश्वविद्यालय (मानित विश्वविद्यालयों सहित) उपकरण की लागत के 50% की अनुदान सहायता के लिए और उत्तर पूर्व और कठिन क्षेत्रों में कार्यरत 70% की अनुदान सहायता के लिए पात्र हैं।
- संपदा के अंतर्गत परिसंकट विश्लेषण और अति महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु (एचएसीसीपी) / आईएसओ मानक / खाद्य सुरक्षा / गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के लिए एक योजना है जिसमें क्रमश: पूर्वोत्तर क्षेत्र और कठिन क्षेत्रों के लिए अधिकतम अनुदान सहायता 17 लाख रूपये और 22 लाख रूपये है।
- संपदा के अंतर्गत यह मानव संसाधनों और संस्थानों के लिए एक योजना है जिसमें सरकारी संगठनों / विश्वविद्यालयों / संस्थानों के लिए उपकरण, उपभोग्य सामग्रियों और अधिकतम तीन वर्ष तक की अवधि के लिए परियोजना के लिए विशेष रूप से जुड़े परियोजना कर्मचारियों के वेतन से संबंधित व्यय की 100% लागत के लिए अनुदान सहायता दी जाती है। साथ ही, निजी संगठनों / विश्वविद्यालयों / संस्थानों को सामान्य क्षेत्रों में उपकरण लागत का 50% और उत्तर पूर्व राज्यों और कठिन क्षेत्रों में 70% की अनुदान सहायता प्रदान की जाती है।
- संपदा के अंतर्गत संवर्द्धनपरक गतिविधियों, विज्ञापन, प्रचार, अध्ययन और सर्वेक्षण के लिए एक योजना है जिसमें अधिकतम अनुदान सहायता 5 लाख रुपए हैं।
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प्रौद्योगिकी उन्नयन हेतु ऋण आधारित पूंजी सब्सिडी योजना
इस योजना का उद्देश्य एमएसई में प्रौद्योगिकी उन्नयन को सुसाध्य बनाना है इसमें एमएसई को 15 प्रतिशत की अग्रिम पूंजी सब्सिडी (निर्दिष्ट 1 करोड़ रुपये तक के संस्थागत वित्त पर) प्रदान की जाती है ताकि सुस्थापित और बेहतर प्रौद्योगिकी को अधिष्ठापना की जा सके। इसमें निर्दिष्ट 51 उप क्षेत्रों / उत्पादों को मंजूरी दी गई है।
संशोधित योजना का लक्ष्य एमएसई द्वारा सुस्थापित और बेहतर प्रौद्योगिकी को अधिष्ठापना प्राप्त संस्थागत ऋण पर 15% अग्रिम पूंजी सब्सिडी प्रदान करके उनके तकनीकी उन्नयन को सुसाध्य बनाना है, जिसमें छोटे, खादी, ग्रामीण और कॉयर औद्योगिक इकाइयां शामिल हैं। इसके लिए निर्दिष्ट 51 उप क्षेत्रों / उत्पादों को मंजूरी दी गई है।
वर्तमान में योजना संशोधन के तहत है और अनिवार्य अनुमोदन प्राप्त होने के पश्चात शीघ्र प्रारम्भ की जायगी ।
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सूक्ष्म/ लघु निर्माणकर्ता उद्यमों/ लघु और सूक्ष्म निर्यातकर्ताओं (एसएसआई-एमडीए) हेतु बाजार विकास सहायता योजना
विदेशी बाजारों का दोहन करने और उसे विकसित करने के प्रयासों में लघु और सूक्ष्म निर्यातकों को प्रोत्साहित करने हेतु। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों / प्रदर्शनी में एमएसएमई इंडिया के तहत लघु / सूक्ष्म निर्माणकर्ता उद्यमों के प्रतिनिधियों की भागीदारी में वृद्धि के लिए।
बार कोड हेतु लघु और सूक्ष्म ईकाइयों द्वारा जीएसआई (पूर्व में ईएएन इंडिया) को किए गए पंजीकरण शुल्क के एक बारगी भुगतान 75% (एमडीए योजना के तहत) और प्रथम तीन वर्षों के लिए वार्षिक शुल्क (आवर्ती) (एनएमसीपी योजना के तहत) के 75% की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा, हवाई किराया और जगह के किराया शुल्क पर कुल सब्सिडी प्रति इकाई 1.25 लाख रुपये तक सीमित होगी।
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सूक्ष्म & लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई – सीडीपी)
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय प्रौद्योगिकी, कौशल और गुणवत्ता में सुधार, बाज़ार पहुँच, पूंजी के लिए पहुँच आदि जैसे सामान्य मुद्दों को संबोधित करते हुए एमएसई की स्थिरता एवं संवृद्धि के लिए सहायता करना। स्वयं सहायता समूहों का गठन, सहायता संघों के उन्नयन आदि के माध्यम से सामान्य सहायक कार्रवाई से एमएसई की क्षमता का निर्माण करना। आधारभूत फ़ैक्टरी परिसरों की स्थापना सहित एमएसई के नए / मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों / क्लस्टरों में ढांचागत सुविधाओं का सृजन और उन्हें अद्यतन करना।
सामूहिक सुविधा केंद्रों की स्थापना करना (परीक्षण, प्रशिक्षण केंद्र, कच्चे माल की डिपो, एफफ्लुएंट ट्रीटमेंट, उत्पादक प्रक्रियाओं के पूरक के लिए आदि)
सीएफसीज़ की स्थापना के लिए, भारत सरकार का अनुदान, परियोजना लागत का 70% तक सीमित है अधिकत्तम 15 करोड़ रूपये । पूर्वोत्तर & पहाड़ी राज्यों क्लस्टरों में भारत सरकार का अनुदान 90% होगा जिसमें 50% से अधिक (क) सूक्ष्म / गाँव (ख) महिलाओं द्वारा धारित (ग) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति इकाइयों के लिए होगा। आधारभूत ढांचा के विकास के लिए, भारत सरकार का अनुदान 10 करोड़ रुपए तक की परियोजना लागत के 60% तक सीमित होगा। पूर्वोत्तर & पहाड़ी राज्यों क्लस्टरों में भारत सरकार का अनुदान 90% होगा जिसमें 50% से अधिक (क) सूक्ष्म / गाँव (ख) महिलाओं द्वारा धारित (ग) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति इकाइयों के लिए होगा।
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प्रधान मंत्री रोजगार जनरेशन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
राष्ट्रीय स्तर पर खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोग (केवीआईसी) नोडल एजेंसी के रूप में इस योजना को कार्यन्वित करती है। राज्य स्तर पर, योजना राज्य केवीआईसी निदेशालयों, राज्य खादी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्डों, (केवीआईबीज़) एवं ज़िला उद्योग केन्द्रों (डीआईसीज़) और बैंकों के माध्यम के कार्यन्वित की जाती है। इस योजना के तहत सरकारी सब्सिडी को लाभार्थियों / उद्यमियों को उनके बैंक खातों अंतिम वितरण के लिए चयनित बैंकों के माध्यम से केवीआईसी द्वारा प्रेषित किया जाता है।
सामान्य वर्ग के लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्र में परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों में 15% मार्जिन मनी सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। विशिष्ट वर्ग से संबंध रखने वाले लाभार्थियों जैसेकि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / महिलाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 35% और शहरी क्षेत्रों में 25% मार्जिन मनी सब्सिडी है।
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विपणन सहायता स्कीम (एमएएस)
एमएसएमई की विपणन क्षमता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना। एमएसएमई की क्षमताओं को प्रदर्शित करना। प्रचलित बाजार परिदृश्य तथा उनके कार्यकलापों पर संभावित प्रभावों के संबंध में एमएसएमई को अद्यतन करना। उत्पादों और सेवाओं के विपणन के लिए एमएसएमई के कंसोर्टिया के गठन को सुविधा प्रदान करना। बड़े संस्थागत क्रेताओं के साथ पारस्परिक प्रतिक्रिया के लिए एमएसएमई को प्लेटफॉर्म प्रदान करना। सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों का प्रसारित/ प्रचार करना। सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमियों के विपणन कौशल को बढ़ावा देना। इस योजना के तहत सब्सिडी की अधिकतम राशि 20 लाख रुपये है जिसमें हवाई किराया, स्थान का किराया और शिपिंग / परिवहन शुल्क शामिल हैं।
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चमड़ा क्षेत्र की एकीकृत विकास उप योजना
चमड़े, फुटवेयर और सहायक उपकरण क्षेत्र की सभी वर्तमान इकाइयां, जिनमें चर्मशोधन, चमड़े के सामान, गैर-चमड़े के फुटवेयर और फुटवेयर घटक क्षेत्र शामिल हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को इस वित्तीय योजना के अंतर्गत निवेश अनुदान दिया जाएगा एमएसएमई के लिए इसकी सीमा मशीनरी और संयंत्र की लागत का 30% और अन्य इकाईयों के लिए मशीनरी और संयंत्र की लागत का 20% होगा। यह निवेश अनुदान प्रौद्योगिकी उन्नयन / आधुनिकीकरण के लिए और / या विस्तार के लिए और नई इकाई की स्थापना करने के लिए दी जाएगी। प्रत्येक उत्पाद लाइन के लिए अधिकतम सीमा 2 करोड़ रूपये होगी।
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एमएसएमई क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के संवर्द्धन के लिए “डिजिटल एमएसएमई” योजना
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए अपने उत्पादन और व्यावसायिक प्रक्रियाओं में आईसीटी अंगीकरण के लिए क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसे नए दृष्टिकोण अपनाने की ओर एमएसएमई को और संवेदनशील बनाना और प्रोत्साहित करना। क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके हार्डवेयर / सॉफ्टवेयर और आधारभूत संरचनाओं पर निवेश के बोझ को कम करके क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं को मानकीकृत करने, वितरण समय में सुधार, माल सूची लागत में कमी, उत्पादकता में सुधार और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार के संदर्भ में बड़ी संख्या में एमएसएमई का लाभ उठाने के लिए ।
जागरूकता कार्यक्रम एवं कार्यशाला: प्रति कार्यक्रम 0.70 लाख रुपये की निधि प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, आईएआईटीसीआईएल के अधिकारियों के टीए / डीए / लॉजिंग व्यय के लिए 0.55 लाख रूपये रखे जाएंगे जो संबंधित डीआई द्वारा एक दिन के लिए वास्तविक रूप से किए गए व्यय के आधार पर पात्रता के अनुसार प्रतिपूर्ति की जाएगी। उद्योग कक्षों / संघों आदि की भागीदारी के साथ आईएआई एमएसएमई-डीआई द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। यदि आवश्यक हो, तो आईएआई एमएसएमई-डीआई को प्रति दिन 5 लाख रुपये प्रति कार्यशाला की दर से निधि उपलब्ध की जाएगी।
क्लाउड कम्प्यूटिंग सेवाओं के लिए प्रति इकाई अधिकतम 1 लाख रुपए की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
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लीन मैनुफेक्चरिंग कोंम्पैटिटिवनेस स्कीम अंडर नेशनल मैनुफेक्चरिंग कोंम्पैटिटिवनेस प्रोग्राम
सामान्य दृष्टिकोण के अनुसार चुनिंदा क्लस्टर में चयनित एमएसएमई के साथ काम करने के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता के साथ लीन मैनुफेक्चरिंग कंसल्टेंट्स (एलएमसी) की भागीदारी शामिल है। इस योजना के अंतर्गत, एमएसएमई को समुचित कर्मचारी प्रबंधन, जगह का बेहतर उपयोग, वैज्ञानिक मालसूची प्रबंधन, बेहतर प्रक्रिया प्रवाह, कम इंजीनियरिंग समय और एलएम तकनीकों के उपयोग के साथ-साथ अपनी विनिर्माण लागत को कम करने में सहायता की जाएगी। यह योजना मूल रूप से विनिर्माण में “अपव्यय” को कम करने के लिए एक व्यावसायिक पहल है।
18 महीने की अवधि के लिए एलएम हस्तक्षेप के लिए विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) / विशिष्ट उत्पाद समूह (डीपीजी) में लीन मैनुफेक्चुरिंग (एलएम) कंसल्टेंट तैनात किए जाते हैं। लीन मैनुफेक्चुरिंग कंसल्टेंट (एलएमसी) को भर्ती करने की लागत का 80% एसपीवी / इकाइयों को एनएमआईयू (राष्ट्रीय निगरानी और कार्यान्वयन इकाई) के माध्यम से प्रतिपूर्ति की जाती है और लागत का 20% एसपीवी / इकाइयों द्वारा वहन किया जाता है।
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आईएसओ 9000 / आईएसओ 14001 प्रमाणन की प्रतिपूर्ति
इस योजना के अंतर्गत आईएसओ 9000/ आईएसओ 14001/ एचएसीसीपी प्रमाणन प्राप्त कर चुकी लघु और अनुषंगी इकाइयों को प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं।
इस योजना में आईएसओ 9000/ आईएसओ 14001/ एचएसीसीपी प्रमाणन प्राप्त करने की प्रक्रिया में हुए व्यय के संबंध में प्रत्येक मामले विशेष में 75% तक 75,000/- रूपये की अधिकतम सीमा तक लिए प्रतिपूर्ति का प्रावधान है।
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पोषण केंद्रों के माध्यम से एसएमई उद्यमों हेतु उद्यमिता और प्रबंधकीय विकास के लिए सहायता
इस योजना के अंतर्गत, भारत सरकार नवोन्मेषकर्ताओं को ऐसे नवोन्मेषी उत्पादों, जिन्हें व्यवसायीकरण की दृष्टि से बाजार में उतारा जा सके, के लिए अपने नए नवोन्मेषी विचारों को विकसित और संपोषित करने हेतु सुअवसर प्रदान करती है।
अनुमोदित दिशानिर्देशों के अंतर्गत, मंत्रालय यह योजना 2008 से ही कार्यान्वित करता रहा है, जिसमें प्रति नवोन्मेषी विचार हेतु 6.25 लाख रूपये के अधिकतम औसत लागत तक परियोजना लागत की 75 % से 85 % की सरकारी वित्तीय सहायता अनुमन्य है। यह मेजबान संस्था /व्यवसायिक पोषणकेंद्र के लिए 10 विचारों तक सीमित होगी। यह निधि एचआई /बीआई के माध्यम से प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, आधारभूत ढाँचा और प्रशिक्षण संबंधी उद्देश्य के लिए मेजबान संस्था /व्यवसायिक पोषणकेंद्र को प्रत्येक विचार के लिए 37,800/- रूपये की धनराशि प्रदान की जाती है।
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जेडईडी प्रमाणन में एमएसएमईज़ को वित्तीय सहायता
इस योजना में विनिर्माण प्रक्रियाओं में जिरो डिफ़ेक्ट & जिरो इफेक्ट प्रथा को अंतर्विष्ट करना शामिल है, यह लगातार सुधार और मेक इन इंडिया पहल में सहायक है।
जेडईडी प्रमाणन योजना जेडईडी विनिर्माण के बारे में एमएसएमईज़ में उचित जागरूकता पैदा करने के लिए एक गहन अभियान है और उन्हें जेडईडी के लिए अपने उद्यम का आकलन के लिए प्रेरित करती है और उन्हें सहायता प्रदान करता है। जेडईडी आकलन के पश्चात, एमएसएमईज़ काफी हद तक अपव्यय कम कर सकते हैं, उत्पादन बढ़ा सकते है, आईओपीज़ के रूप में अपने बाज़ार को बढ़ा सकते हैं, सीपीओएसज़ के लिए वेंडर बन सकते हैं, अधिक आईपीआरज़ रख सकते हैं, नए उत्पादों और प्रक्रियाओं आदि का विकास कर सकते हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए भारत सरकार द्वारा क्रमश: 80%, 60% और 50% सब्सिडी प्रदान की जाती है। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति/ महिलाओं द्वारा धारित एमएसएमईज़ और पूर्वोत्तर एवं जम्मू एवं कश्मीर में स्थित एमएसएमईज़ के आकलन, रेटिंग / रि-रेटिंग / अंतराल विश्लेषण / हैंड होल्डिंग के लिए 5% अतिरिक्त सब्सिडी होगी।
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एमएसएमईज़ के लिए डिज़ाइन विशेषज्ञता के लिए डिज़ाइन क्लीनिक
यह योजना डिज़ाइन को अपनाने और इसे सीखने के माध्यम से एमएसएमईज़ की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए है।
(1)प्रति सेमीनार 60,000/- रूपये और 75% बशर्ते अधिकत्तम 3.75 लाख रूपये की वित्तीय सहायता,
(2)एमएसएमईज़ को नए डिज़ाइन रणनीतिओं का और अथवा परियोजना हस्तक्षेप और परामर्श के माध्यम से उत्पादों और सेवाओं से संबन्धित डिज़ाइन विकसित करने के लिए सुविधा प्रदान करना ।
(परियोजना रेंज 15 लाख रूपये से 40 लाख रूपये तक सूक्ष्म के लिए 75% की दर से लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए 60% भारत सरकार का अंशदान है।)
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एमएसएमई उद्यमों को प्रौद्योगिकी एवं गुणवत्ता उन्नयन संबंधी सहायता
योजना के अंतर्गत विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयों में ऊर्जादक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल दिया गया है, जिससे कि उत्पादन की लागत को कम किया जा सके और स्वच्छ विकास की प्रक्रिया अपनाई जा सके। ऊर्जा दक्षता /स्वच्छ विकास और तत्संबंधी प्रौद्योगिकी के विकास हेतु एमएसएमई समूहों का क्षमता निर्माण। प्रति कार्यक्रम 75000 रूपये की अधिकतम सीमा के भीतर, जागरूकता कार्यक्रमों के लिए 75% तक की निधि की सहायता।
एमएसएमई इकाइयों में ऊर्जादक्ष प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन के लिए समूह स्तर पर ऊर्जा लेखापरीक्षा और आदर्श डीपीआर तैयार करने हेतु वास्तविक खर्चे का 75%।
एमएसएमई समूहों में स्वच्छ विकास की प्रक्रिया आरंभ करने और उसे लोकप्रिय बनाने के लिए कार्बन क्रेडिट समूहन केंद्रों की स्थापना। ईईटी परियोजनाओं से जुड़ी एमएसएमई क्षेत्र की अलग-अलग इकाइयों के लिए परवर्ती विस्तृत परियोजना रिपोर्टें तैयार करने हेतु प्रति डीपीआर 1.5 लाख रूपये की अधिकतम सीमा के भीतर वास्तविक खर्चे का 50%।
भारत सरकार द्वारा परियोजना लागत का 25% सब्सिडी के रूप में, शेष धनराशि का निधीयन सिडबी /बैंकों /वित्तीय संस्थानों के ऋण के माध्यम से किया जाएगा। निधि प्रदान करने वाली एजेंसी की अपेक्षा के मुताबिक, एमएसएमई उद्यमों द्वारा न्यूनतम अंशदान लाना आवश्यक होगा।
राष्ट्रीय /अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल उत्पादों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के संबंध में 75% की सब्सिडी; उत्पाद लाइसेंस /राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप चिह्नांकन हेतु अधिकतम सीमा 1।5 लाख रूपये और अंतरराष्ट्रीय मानकों के लिए 2।0 लाख रूपये।
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क्यूएमएस और क्यूटीटी के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा हेतु सक्षम बनाना
योजना में एमएसई उद्यमों को नवीनतम गुणवत्ता प्रबंध मानकों और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी के अवयवों को समझने और उन्हें अपनाने की दृष्टि से सुग्राही बनाने और प्रेरित करने के प्रयास किए गए हैं।
विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से एमएसई उद्यमों हेतु क्यूएमएस /क्यूटीटी जागरूकता अभियान के संचालन हेतु प्रति कार्यक्रम 79,000 रूपये तक की निधि की सहायता।
विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से चुनिंदा एमएसएमई उद्यमों में क्यूएमएस और क्यूटीटी के कार्यान्वयन के लिए प्रति इकाई 2.5 लाख रूपये तक की निधि की सहायता।
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बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए जागरूकता पैदा करना
इस योजना का उद्देश्य एमएसएमई उद्यमों के बीच अपने विचारों और व्यवसायिक कार्यनीतियों के संरक्षण संबंधी उपाय करने हेतु बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए जागरूकता में अभिवृद्धि करना है। एमएसएमई उद्यमों द्वारा आईपीआर के प्रभावी उपयोग से उन्हें प्रौद्योगिकी उन्नयन और अपनी प्रतिस्पर्धा को वृद्दिशील बनाने में सहायता मिलेगी।
चुनिंदा समूहों /औद्योगिक समूहों हेतु प्रायोगिक अध्ययन संपन्न करने के लिए (यहाँ आवेदक होंगे – एमएसएमई संगठन, सक्षम अभिकरण और विशेषज्ञ एजेंसियाँ)। प्रति प्रायोगिक अध्ययन के लिए 2.5 लाख रूपये की भारत सरकार की सहायता।
संवाद परक सेमिनार /कार्यशालाओं के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता (यहाँ आवेदक होंगे – एमएसएमई संगठन और विशेषज्ञ एजेंसियाँ)।
आईपीआर पर केंद्रित विशिष्ट प्रशिक्षण के आयोजन हेतु निधि की सहायता (आवेदक – विशेषज्ञ एजेंसियाँ)।
पेटेंट /जीआई पंजीकरण के संबंध में अनुदान स्वरूप निधि की सहायता (ऐसे मामलों में आवेदक होंगे – एमएसएमई इकाइयाँ और एमएसएमई संगठन)
आईपी सुगमता संस्थापित करने हेतु निधि की सहायता।
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कॉयर विकास योजना
निर्धारित प्रारूप में आवेदन करने पर घटक के अंतर्गत सभी पात्र कॉयर इकाइयां नई इकाई की स्थापना/ आधुनिकीकरण, उन्नयन के लिए पात्र संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने की हकदार होंगी। कॉयर इकाइयों द्वारा अधिगृहीत संयंत्र और मशीनरी की स्वीकार्य मदों की लागत का 25% वित्तीय सहायता उपलब्ध होगी। प्रति कॉयर इकाई / परियोजना के लिए वित्तीय सहायता की ऊपरी सीमा 2.50 करोड़ रुपये होगी।
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उद्यमीमित्र के लिए राज्य स्तरीय सब्सिडी योजनाएँ
परिवहन अनुदान योजना
योजना को औद्योगिक इकाइयों द्वारा किए गए परिवहन लागत में सब्सिडी प्रदान करके सुदूर, पहाड़ी और पहुंचने योग्य क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण के विकास के लिए शुरु किया गया था ताकि वे अन्य समान प्रकार के उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें, जो भौगोलिक दृष्टि से बेहतर क्षेत्रों में स्थित हैं।
यह योजना सभी औद्योगिक इकाइयों (बागानों, रिफाइनरियों और बिजली उत्पादन इकाइयों को उनके आकार के बावजूद सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में छोड़कर) पर लागू होती है।
कच्चे माल के परिवहन के लिए एवं तैयार माल को इकाई से निर्दिष्ट रेल-स्टेशन के बीच में परिवहन लागत की 50% से लेकर 90% तक की सब्सिडी है। (उत्तर पूर्व राज्यों, जम्मू-कश्मीर और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सब्सिडी 90% है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के लिए सब्सिडी 75% है। हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों के भीतर वस्तुओं के आवागमन के लिए सब्सिडी 50% है।)
लागू क्षेत्र : पूर्वोत्तर के 8 राज्य – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर, पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग जिला, अंडमान एवं निकोबार प्रशासन, लक्षद्वीप प्रशासन
उद्योगों को प्रोत्साहन योजना के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया
एमएसएमई, बड़े, मेगा और अल्ट्रा मेगा औद्योगिक उपक्रमों के लिए निवल वैट प्रतिपूर्ति के माध्यम से वित्तीय सहायता के लिए विनिर्माण क्षेत्र के लिए योजना लागू है।
यह योजना एक नए औद्योगिक उपक्रम, या मौजूदा औद्योगिक उपक्रमों के विस्तार के लिए लागू होगी और योजना की संचालन अवधि के दौरान (यानी 25/07/2016 से 24/07/2021 के बीच) वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर दिया है I
लागू क्षेत्र – गुजरात
उद्योग निदेशालय गुजरात सरकार की इस योजना को विस्तार से जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना
यह योजना 10 लाख रूपये से 1 करोड़ रूपये की परियोजनाओं के लिए लागू है। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को 12 लाख रूपये तक की मार्जिन मनी और 5% की ब्याज़ सब्सिडी & सीजीटी शुल्क अनुदान की भी सहायता प्रदान की जाती है।
लागू क्षेत्र – मध्यप्रदेश
एमएसएमई विभाग मध्य प्रदेश सरकार की योजना की जानकारी व सूचना के लिए विभाग के वेबसाइट पर देखें
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
यह योजना 0।20 लाख रूपये से 10 लाख रूपये की परियोजनाओं के लिए लागू है। योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को 2 लाख रूपये तक मार्जिन मनी और 5% की ब्याज़ सब्सिडी & सीजीटी शुल्क अनुदान की भी सहायता प्रदान की जाती है।
लागू क्षेत्र – मध्यप्रदेश
एमएसएमई विभाग मध्य प्रदेश सरकार की योजना की जानकारी व सूचना के लिए विभाग के वेबसाइट पर देखें
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए के एमएसएमई उद्यमियों के लिए सब्सिडी योजना
सहायता प्राप्त सावधि ऋण
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम भारत सरकार सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा जारी उप-योजना (एससीएसपी) फंड के अंतर्गत अनुसूचित जाति के लिए विशेष केंद्रीय सहायता की केंद्रीय-क्षेत्र योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे के लाभार्थी एससीए द्वारा इकाई की लागत का 50% या 10000/- रूपये की दर से सब्सिडी के लिए पात्र हैं। जहां भी लाभार्थियों को सब्सिडी प्रदान नहीं की जाती है, वहां एससीए द्वारा उनकी मार्जिन राशि का हिस्सा प्रदान किया जायेगा ।
योजना संपुर्ण भारत में लागू: योजना को विस्तार से जानने के लिए नेशनल शेड्यूलड कास्ट्स फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कार्पोरेशन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के इस लिंक पर देखें
स्वच्छता उद्यमी योजना (एसयूवाई)
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम, भारत सरकार सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित योजना स्वच्छता उद्यमी योजना – स्वच्छता से सम्पन्नता की ओर के अंतर्गत “सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में भुगतान कर, उपयोग करें के अंतर्गत सामुदायिक शौचालयों के निर्माण, संचालन और रखरखाव तथा चालित शौचालय वाहनों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए है।
इस योजना के दो उद्देश्य है एक तो स्वच्छता और दूसरा सफाई कर्मचारियों को आजीविका प्रदान करना है तथा माननीय प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किए गए “स्वच्छ भारत अभियान” के समग्र लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हाथ से मैला ढोने वाले कर्मचारियों को इससे मुक्त करना है। “मैनुअल सफाई कर्मचारियों के रूप में रोजगार का निषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम 2013” के अनुसार मैनुयल सफाई कर्मचारियों के पुनर्वास के लिए स्वरोज़गार योजना के अंतर्गत 3.25 लाख रूपये की अधिकतम सब्सिडी।
योजना संपुर्ण भारत में लागू: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम, भारत सरकार सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित इस योजना को विस्तार से जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति हब योजना
आरईजी भारत सरकार सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई)मंत्रालय की इस योजना का उद्देश्य मौजूदा और साथ ही अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के नए एमएसई उद्यमियों को उनके द्वारा नए संयंत्र और मशीनरी की खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए उनके द्वारा प्राप्त संस्थागत वित्त पर 25 प्रतिशत अग्रिम पूंजी सब्सिडी प्रदान करना है। इस योजना का उद्देश्य सार्वजनिक उद्यमों में बढ़ोतरी के लिए नए उद्यमों को बढ़ावा देना और मौजूदा उद्यमों को उनके विस्तार में सहायता करना है।
योजना संपुर्ण भारत में लागू: अधिक जानकारी लिए सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के इस लिंक पर जायें
महिलाओं के लिए सब्सिडी योजनाएँ
कौशल उन्नयन और गुणवत्ता सुधार एवं महिला कॉयर योजना (एमसीवाई)
महिला कॉयर योजना, (एमसीवाई), विशेष रूप से, उपयुक्त कौशल विकास (प्रशिक्षण) कार्यक्रमों के पश्चात कम दर पर कताई उपकरण के प्रावधान के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण करना है।
महिला कॉयर योजना के तहत, कॉयर बोर्ड मोटर से चलित रेट्ट/ मोटर से चलित पारंपरिक रेट्ट की लागत के 75% का एकबारगी सब्सिडी प्रदान करता है, जोकि मोटर चलित रेट्ट के मामले में अधिकतम सीमा 7500/- रूपये और मोटर चलित पारंपरिक एवं इलेक्ट्रोनिक रेट्ट के संदर्भ में 3,200 रूपये है।
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स्रोत: उद्यमीमित्र पोर्टल