यूं तो भारत और चीन से सीमा विवाद वर्षों पुराना है, मगर गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच के संबंधों में तनाव में तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ। भारतीय फ़ौज ने मोर्चे पर चीन के मुक़ाबले बढ़त बना ली और चीन के सैनिक पीछे हटने को मजबूर हुए । भारतीयों ने चीन में बने सामान का बहिष्कार करना शुरू कर दिया जिसका असर व्यापार तो पड़ा हीं चीन द्वारा भारत में काम करने वाली एनजीओ को मिलने वाली डोनेशन में भारी कमी आई । एक वेबसाईट टॉस के अनुसार…
- भारत में चल रहे एनजीओ को चीन से मिलने वाली मदद में भारी कटौती हुई है
- वर्ष 2016 से 2019 की शुरुआत तक एनजीओ को चीन से मिल रहे पैसे में बढ़ोतरी का ट्रेंड था (लेकिन)
- वर्ष 2019-20 में भारतीय एनजीओ को चीन से मिलने वाली मदद में भारी कटौती हुई है
- क़रीब 11 करोड़ रुपये से गिर कर यह मदद महज़ 2.64 लाख रुपये तक पहुंच गई है
- वर्ष 2016-17 के दौरान चीन से 5.86 करोड़ रुपये भारतीय एनजीओ को मिले
- वर्ष 2017-18 के दौरान भारतीय एनजीओ को चीन से 9.25 करोड़ रुपये मिले
- वर्ष 2018-19 के दौरान 11.76 करोड़ रुपये का चंदा भारतीय एनजीओ को मिला (केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी कि)
- पिछले चार साल में भारतीय एनजीओ को विदेश से कुल 50,975 करोड़ रुपये की मदद मिली
- भारतीय एनजीओ को सबसे ज़्यादा मदद अमेरिका से मिली
- वर्ष 2016-17 में अमेरिका ने 5,869 करोड़ रुपये की मदद भारतीय एनजीओ को दी
- वर्ष 2017-18 में भारतीय एनजीओ को अमेरिका से 6,199 करोड़ रुपये की मदद मिली
- वर्ष 2018-19 के दौरान अमेरिका से एनजीओ को 6907 करोड़ रुपये की मदद मिली
- वर्ष 2019-20 के दौरान अमेरिका से भारतीय एनजीओ को 966 करोड़ रुपये ही मिले
- भारत में ऐसे 22,400 एनजीओ हैं, जो विदेश से मदद लेने के लिए अधिकृत हैं
देश में एनजीओ की मिलने वाली विदेशी मदद का मुद्दा हमेशा से उठता रहा है। ऐसा कुछ एनजीओ की संदिग्ध कार्यशौली के कारण है। इधर कोरोना काल में एनजीओ को मिलने वाली डोनेशन में भी कमी आई है। किसान आंदोलन के दौरान भी खालिस्तानी एजेंडे पर काम करने वालों को विदेशी फंडिंग का मामला उठता रहा है। कश्मीर और दूसरे कई क्षेत्रों में भारत विरोधी गतिविधियां चलाने के लिए विदेशों से हवाला के ज़रिये पैसे आने के पुख़्ता सुबूत भी मिलते रहे हैं। भारतीय ख़ुफ़िया तंत्र बहुत सी साज़िशों को नाकाम करने में तो सफल रहा है आगे भी पैनी नज़र रखने की ज़रूरत है, ताकि देश विरोधी ताकतें किसी एनजीओ के रास्ते विदेशी फंड का इस्तेमाल कर देश को अस्थिर करने ना करें।
सभार- टॉस वेबसाईट