कोविड-19 के कारण समस्त विश्व गहरे संकट के काल में उलझा हुआ है। विश्व की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है ।इससे भारत की अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रही है ।भारत की अर्थव्यवस्था अपने सबसे निम्न स्तर पर आगे बढ़ रही है। इस संकट के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को तेज गति से विकास करने के लिए भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक कोरोना आर्थिक पैकेज की घोषणा की है जिससे अर्थव्यवस्था को तेज गति से आगे बढ़ाया जा सके। इसी बीच भारतीय प्रधानमंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के लिए,स्थानीय स्तर पर गति प्रदान करने के लिए एक अभियान चलाने का आह्वान किया है, जिसको आत्मनिर्भर भारत के नाम से हम सभी जानते हैं। मोदी जी ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को स्थानीय से विश्व स्तरीय बनाने के लिए हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देनी होगी। कोरोना कालखंड में स्थानीय उत्पादों ने ही हमें संभल दिया हैऔर हमें कोरोना नामक महामारी से लड़ने में मजबूती प्रदान की है ।यह देश की शक्ति ही है जिसको हमें पहचानना होगा और हमें संकट के समय बचाने वाले स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना होगा ।जिससे भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ सके और भारत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें।
प्रधानमंत्री ने सभी भारतीयों से आग्रह किया है कि प्रत्येक भारतीय स्थानीय उत्पादों खरीदने के साथ-साथ उनका अधिकतम प्रचार-प्रसार भी करें तथा दूसरों को भी स्थानीय उत्पाद उपयोग में लाने को प्रेरित करें ।
कोरोना काल में भारत की नेतृत्व क्षमता को विश्व ने पहचाना है और विश्व कोरोना नामक संकट के समाधान के लिए अपनी निगाहें भारत की ओर किए हुए हैं।विश्व का मानना है कि भारत खुद की अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ विश्व की अर्थव्यवस्था को भी आगे ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस प्रकार का उत्साह विश्व को कोरोना काल में भारत के नेतृत्व करने से हुआ है। क्योंकि भारत विश्व के कोरोना आंकड़ों की तुलना में अभी मजबूत स्थिति में है। अब हमें इस विश्वास का उपयोग सकारात्मक रूप से अपने अनुकूल अर्थव्यवस्था विकसित करने में करना चाहिए और अपनी अर्थव्यवस्था को स्थानीय उत्पादों पर आधारित बनाना चाहिए।इसके लिए हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान को अधिक से अधिक समर्थन देने की आवश्यकता है।
सबसे पहले हमें यह समझना होगा यह आत्मनिर्भर भारत है क्या, किस स्थिति को आत्मनिर्भर भारत कहेंगे? और कैसे हम पहचानेंगे कि भारत आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है ?
आत्मनिर्भर भारत बनाने का हमारा मतलब इस बात से है कि हम अधिक से अधिक स्वदेशी संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करें तथा हम स्थानीय उत्पादों का निर्यात विश्व स्तर पर करें ऐसी स्थिति में हो ।हमारा आयात निम्न स्तर पर हो और निर्यात अधिकतम हो जबकि वर्तमान स्थिति इसके बिल्कुल उलट है ।हम स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने के साथ-साथ उनका उत्पादन भी अधिक मात्रा में करें तथा साथ ही स्वदेशी उत्पादों का प्रचार प्रसार करना हमारा महत्वपूर्ण दायित्व होना चाहिए साथ ही दूसरे मित्रों को भी हमें स्थानीय उत्पादों के प्रयोग के लिए प्रेरित करने का उत्तरदायित्व स्वयं के कंधों पर लेना चाहिए । क्षेत्र कोई भी हो सकता है जिसमें रक्षा क्षेत्र,मेडिकल क्षेत्र,शिक्षा क्षेत्र, अवसंरचनात्मक गतिविधियां आदि सम्मिलित हो सकती हैं। इन सभी क्षेत्रों में हमें आगे बढ़ना है। हमें विश्व के देशों पर अपनी निर्भरता न्यूनतम स्तर पर रखनी होगी और हमें अपनी निर्भरता अपने युवाओं के कंधों पर विश्वास करते हुए स्वयं पर बढ़ानी होगी स्थानीय व्यवसायियों पर बढ़ानी होगी।जिनमें भारत को आत्मनिर्भर बनाने की सबसे अधिक जिम्मेदारी है। लेकिन साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना है कि हम आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ विश्व के साथ भी जुड़े रहे। हमें वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं करना है हमें तो दुनिया के विकास में सहयोग करना है।
हम अपनी अर्थव्यवस्था को स्वदेशी बनाने के साथ-साथ विश्व की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में विश्व समुदाय का सहयोग जारी रखेंगे। जब भारत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, तेज गति से विकास करेगा तो स्वाभाविक रूप से दुनिया की अर्थव्यवस्था भी तेज गति से आगे बढ़ेगी। लेकिन हमें यह भी विचार करना होगा कि भारत आत्मनिर्भर बनेगा कैसे इसके लिए हमें लघु मध्यम वर्गीय उद्योगों, अति लघु व्यवसायियों, दुकानदारों, महिला उद्यमियों को स्वदेशी उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित करना होगा जिससे वे सभी अपने सामानों का उत्पादन करने के साथ-साथ निर्यात करने की स्थिति में आ जाएं। हमें सभी प्रकार के व्यवसायियों को संसाधन मुहैया कराने होगे। उन्हे आसान दरों पर धन भी प्रदान करना होगा।स्थानीय स्तर पर महिला समितियों की स्थापना करनी होगी तथा प्रत्येक ब्लॉक लेवल पर सहकारी समितियों को सुदृढ़ करना होगा क्योंकि स्वतंत्र भारत के विकास में सहकारी समितियों का योगदान हम सभी को याद होगा जैसे अमूल जैसी सहकारी समितियों ने दूध के क्षेत्र में भारत को विश्व में अग्रणी स्थान दिला दिया है। इसी प्रकार एक अन्य उदाहरण के रूप में हम IFFCO सहकारी समिति को ले सकते हैं।जिसने हमें कृषि क्षेत्र में उर्वरक क्रांति के साथ साथ हरित क्रांति को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।तथा प्रत्येक किसान के पास उत्तम गुणवत्ता के उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित की है। साथ ही हम अन्य उदाहरण के रूप में सहकारी बैंक समितियों को रख सकते हैं जिसने ग्रामीण स्तर पर आर्थिक समावेशन को सुनिश्चित किया है तथा आसान दरों पर किसान भाइयों को धन मुहैया कराया है। इन सभी उदाहरणों से हमें सीखना होगा और इन्हें आगे बढ़ाना होगा।और इसी प्रकार की अधिकतम सहकारी समितियों की स्थापना हमें करनी होगी। साथ ही हमें महिला उद्यमियों को स्वरोजगार करने के लिए अधिक से अधिक प्रेरित करना होगा जिससे वे ग्रामीण स्तर पर कुटीर उद्योगों को बल प्रदान कर सकें और अधिक से अधिक रोजगार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को दे सकें ।जब महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी तो परिवार आत्मनिर्भर बनेंगे ।परिवार आत्मनिर्भर बनेंगे तो समाज,देश स्वत: ही आत्मनिर्भर बन सकेंगे ।साथ ही साथ हमें युवाओं की शक्ति को भी पहचानना होगा और उन्हें स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित करना होगा जिससे वे सभी रोजगार देने वाले बन सके न कि केवल रोजगार चाहने वाले बने। इससे भारत में बेरोजगारी तो कम होगी ही साथ ही भारत आत्मनिर्भर बनेगा।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों का वर्णन हमारे समक्ष किया है जिनमें अर्थव्यवस्था,अवसंरचना विकास, प्रौद्योगिकी, गतिशील जनसांख्यिकी और मांग सम्मिलित है। हमें इन सभी क्षेत्रों के विकास पर विशेष रुप से प्रयास करने की आवश्यकता है। यह क्षेत्र ऐसे हैं जिनसे अधिक से अधिक रोजगार युवाओं को मिलता है साथ ही अधिक से अधिक मात्रा में उपभोग किए जाने योग्य उत्पादों का निर्माण होता है। हमें अधिकतम उत्पादन करने के साथ-साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि हम जल्दबाजी में उत्पादों की गुणवत्ता से समझौता न कर लें। हमें अपने उत्पादों की गुणवत्ता के मानक विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप बनाकर रखने होंगे जिससे हमारे उत्पाद विश्व बाजार में अन्य देशों के उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।साथ ही विश्व को यह विश्वास दिलाना होगा कि हमारे उत्पाद अन्य देशों के उत्पादों की अपेक्षा अधिक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल हैं। जिससे हमारे उत्पादों की मांग विश्व में सर्वाधिक हो।
इन सभी उपायों को अपनाकर हम निश्चित रूप से आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बना सकेंगे। उपर्युक्त सभी उपायों के संगठित प्रयासों के साथ ही साथ हमें मजबूत इच्छाशक्ति, नवाचार, समावेशन तथा निवेश जैसे सभी बिंदुओं पर मजबूती से काम करना होगा।यह सभी कारक भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले हैं। हमें भारतीय नागरिकों के सशक्तिकरण की भी आवश्यकता है क्योंकि भारतीय नागरिक सशक्त होंगे तभी विश्व स्तरीय समस्याओं का समाधान अपने कौशल और श्रम के माध्यम से कर सकेंगे । हमें युवाओं की शक्ति में विश्वास जताना होगा और युवाओं को स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध कराने होंगे जिससे सशक्त भारत का निर्माण किया जा सके और भारत को अति शीघ्र अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।