क्या यह एक बीमार होते समाज की आहट है ? – प्रो. मनोज कुमार झा

पिछले दिनों से यह अहसास तारी होता जा रहा है कि हमारा देश और हमारा परिवेश कुछ ज्यादा ही द्रुत गति से बदल रहा है. कई बार इस तेज गति की वजह से बदलाव की दिशा और उसकी मूल गुणवत्ता पर चर्चा नहीं के बराबर होती है