भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) नाम की एनजीओ के एक सर्वे के मुताबिक देश की 92.1 फीसदी मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि तीन बार तलाक बोलकर शादी का रिश्ता खत्म नहीं होना चाहिए और इस पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। एनजीओ ने इस सर्वे के लिए 4,710 महिलाओं से उनकी राय जानी। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन एनजीओ 10 राज्यों में मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार के लिए काम कर रही है
सोशल मीडिया के जरिए लिए जाने वाले तलाक ने भी चिंता बढ़ाई है देखा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय में स्काइप, ईमेल, मैसेज और वाट्सऐप के जरिए तलाक लिया जा जो कि चिंता का सबब है। सर्वे के मुताबिक देश की अधिकतर मुस्लिम महिलाएं आर्थिक और सामाजिक तौर पर काफी पिछड़ी हैं. लगभग आधी से अधिक मुस्लिम महिलाओं का 18 साल से पहले ही निकाह हो गया और घरेलू हिंसा का भी सामना करना पड़ा। सर्वे में शामिल 91.7 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वह अपने पति के दूसरे निकाह के खिलाफ हैं। इस सर्वे में 73 फीसदी महिलाओं ऐसी थीं, जिनके परिवार की सालाना आय 50 हजार रुपये से कम है, जबकि 55 फीसदी का निकाह 18 साल की उम्र से पहले ही हो गया था।
बदलते वक्त के साथ समाज का बदलाव ऐसा हो कि सबको सम्मान और बराबरी से जीने का हक हो, विवाह और परिवार जैसी संस्था को लेकर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है ना कि सोशल मीडिया के जरिए शादी का रिश्ता और परिवार को खत्म होना चाहिए ।