राजस्थान में नीला रंग महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है। नीला रंग यहां महिलाओं को मैला ढोने की जिंदगी से बाहर निकलने का संकेत है। कई दलित महिलाएं अपने पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलते हुए मैला ढोने, शौचालयों की सफाई करने, नालियां और गटर साफ करने का काम करती थी, बदले में उन्हें समाजिक तिरस्कार और उपेक्षा का सामना करना पड़ता था। लेकिन सुलभ इंटरनेशनल नाम के एनजीओ ने इन महिलाओं को बेहतर भविष्य की एक किरण दिखाई ।
दरअसल यह एनजीओ प्रशिक्षण के जरिए मानवाधिकारों, पर्यावरणीय स्वच्छता और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देता है। ‘सुलभ इंटरनेशनल‘ ने नई दिशा के नाम से एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र की शुरूआत की। इस केंद्र की पोशाक नीली साड़ी है। इस पहल के तहत, ये पापड़, नूडल्स, अचार और कई अन्य घरेलू खाद्य सामान बनाने का काम करती हैं। इन महिलाओं के बनाए गए उत्पाद दिल्ली, चंडीगढ़ और अहमदाबाद में भी उपलब्ध हैं। ‘नई दिशा‘ के प्रभारी राजेंद्र सिंह के अनुसार शुरुआत में लोगों ने इस पहल का विरोध किया, लेकिन बाद में इसे स्वीकार कर लिया । एनजीओ के साथ जुड़ने के बाद महिलाओं की जिंदगी सिर्फ सामाजिक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बदल गई है। सुलभ इंटरनेशल एनजीओ की मदद से यह महिलाएं समाज की नजरों में सम्मान का भाव लाने में सफल हो रही हैं ।
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